tag:blogger.com,1999:blog-3250452308227816054.post614880000037163512..comments2023-11-05T14:37:30.004+05:30Comments on Ghar Mein ho (घर में हो! ): महाभारत आज भी -2Sunil Aggarwalhttp://www.blogger.com/profile/00644421164005859010noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3250452308227816054.post-69688422873256944372014-08-11T20:57:12.690+05:302014-08-11T20:57:12.690+05:30शून्य होना,स्वार्थरहित होना, अपने सिवा भी कुछ और द...शून्य होना,स्वार्थरहित होना, अपने सिवा भी कुछ और देखना गीता के मर्म को समझने की पहली शर्त. करते तुम हो पर करने वाला कोई और ऐसा भाव , तो फिर कृषण हर पल साथ. पर उसका साथ चाहिये किसको.उससे सब कुछ चाहिये पर वो नहीं. हर पल शीशे के सामने कौन रहे. फिर वो तो कभी नहीं जिसके लिए सब कुछ वो खुद ही हो.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00030034071260708671noreply@blogger.com