Ghar Mein ho (घर में हो! )
Campus is wherever you are. Learning is possible whenever you want to.
Thursday, October 4, 2007
थोड़ी सी कविताएं-2
हर झुका पेड महात्मा नहीं होता
कुछ पेड झुक जाते हैं
ताकत भर लेने को
जोर से प्रतिद्वंदी से टकरा जाने को
झुकना
पैर के नीचे की जमींन फैलाना भी होता है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment