Wednesday, October 10, 2007

थोड़ी सी कविताएं-5


गति
और प्रकृति

पिघलती है जब बर्फ
सूरज गाता है
बर्फ की तहें
टूटती हैं
एक दूसरे से
छूटती हैं
बजता है संगीत
धूप का गाना
गूँजता है
अपनी सफ़ेद रूह को
अलविदा कह
बर्फ खो जाती है
रंग नगर में
पानी रखता है लाज
गति की

1 comment:

रंजू भाटिया said...

अपनी सफ़ेद रूह को
अलविदा कह
बर्फ खो जाती है
रंग नगर में
पानी रखता है लाज
गति की

बहुत ही सुंदर