बीतना
१
वो बीत गई है
मैदानों से नदी की तरह
पेड़ों से पत्तों की तरह
राह से कदम की तरह
बीतना उसका हो चुका है
दिन से धूप की तरह
चुप से संगीत की तरह
श्वास से नाम की तरह
उसका बीत जाना
एक चिंतामुक्त अनुभव है
जब थी
बहुत सताती थी
२
नहीं है वो
जागती थी जो
आंखों में सूरज लेकर
होंठों पर कहानी लेकर
भीन्चती थी बाहों में
भीगे बादल, भीगे राही
बांटती थी राहों में
पल-पल करवट, पल-पल मौसम
उसका कथन
उसका मंचन
बीत चुका है
वो बीत चुकी है
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