कुछ दिन पहले महाभारत के सन्दर्भ में जीते हुए एक मोह में उलझा रहा. ध्यान आया कि पुत्र मोह जिसमे मैं उलझा था उसकी दूसरी तरफ पैसे के मोह की तस्वीर थी. बस एक दिन गौरव बजाज के साथ बैठे-बैठे उसे बुनने की कोशिस शुरू हो गयी और एक श्रृंखला बन गयी. उसका पहली छोटी सी भूमिका यूं ही बन गयी.
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